विपश्यना
सत्यनारायण गोयंकाजी द्वारा जैसे सिखाइ गयी

साधना
आचार्य गोयन्काजी द्वारा सिखायी गयी विपश्यना साधना
विपश्यना साधना
सत्यनारायण गोयंकाजी द्वारा जैसे सिखाइ गयी
आचार्य गोयन्काजी द्वारा सिखायी गयी विपश्यना साधना
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गोएन्काजी से एक संदेश
धम्म पथ के प्रिय यात्रियों
मंगल हो!
धम्म की मशाल प्रज्वलित रखे! उसकी प्रकाशमें आपका दैनिक जीवन उज्वल हो. हमेशा याद रखे, धम्म एक पलायन नहीं है.
यह जीने की एक कला है: शांति और सद्भाव से अपने आपमें और सभी अन्य लोगों के साथ जीनेकी कला. इसलिए, धम्म जीवन जीने का प्रयास करें.
हर सुबह और शाम को अपने दैनिक अभ्यास कों मत छोडिये.
जब भी संभव हो, अन्य विपश्यना साधक के साथ साप्ताहिक सामुहिक साधना में भाग लिजिये.
वर्ष मे एक बार एक दस दिवसीय शिविर करे. यह आप को मजबूत रखने के लिए आवश्यक है.
आत्मविश्वास के साथ, आप आसपास के कांटोसे बहादुरीसे और मुस्कराते हुए सामना करे.
नफरत और द्वेष छोड दिजिये, इससे शत्रूता खत्म होगी.
लोग, विशेषतः जिनको धम्म समझाही नही और दुखी जीवन जीते है, उनके प्रती प्रेम और करुणा उत्पन्न किजिये.
अपने धम्म व्यवहारसे उन्हें शांति और सौहार्द का मार्ग दिखा दे. अपने चेहरे पर की धम्म की चमक
असली खुशी के इस मार्ग पर अधिक से अधिक दुखी लोगों को आकर्षित करे.
सभी प्राणियों सुखी, शांतिपूर्ण, मुक्त हो.
मेरे सारे मैत्री के साथ,
एस एन गोएन्का
पुराने साधकों के लिए मार्गदर्शन
- अभ्यास के लिये मार्गदर्शक तत्व
- विशेष शिविर के लिए योग्यता
- Long and Special Course Schedules
- स्वयं- शिबिर ( पूछे जाने वाले प्रश्न )
धम्म सेवा
- आचार्य गोयन्काजी का धम्मसेवा के महत्त्व पर संदेश
- MobileApp.str_about_dhamma_service
- धम्म सेवा का उद्देश्य
- विपश्यना शिविरों में धर्मसेवकों के लिए आचार-संहिता
- Question and Answer Dhamma service
दान
- गोएन्काजी से एक संदेश
- Donating to Centres or Courses
- International Projects
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