इस परंपरामे आचार्योंकी श्रुंखला

गोयनकाजी तथा उनके सहायक आचार्य के विपश्यना साधक, बडी कृतज्ञता के साथ उन आचार्योंके श्रृंखला का बहुत बड़ा एहसान मानते है, जिन्होने, गौतम बुद्ध से, पीढ़ी से पीढ़ी तक धम्म के इस अमूल्य रत्न को अपनी प्राचीन शुद्धता में सुरक्षित रखा हैं। जबकि ऐसी संभावना है की भिक्कू आचार्योंकी एक पंक्ति द्वारा विपश्यनाकी यह शुद्ध तकनीक शताब्दियों तक सुरक्षित रखी गयी है जिनके विशिष्ट नाम हमारे लिए अज्ञात हैं, तथपि हाल ही में हुए धम्मचारि तथा  महान भिक्कू विद्वान / आचार्य जिन्होंने  उन धम्माचारियोंको इस परंपरामे सिखाना अधिकृत किया है, उन्हे हम जानते है। इस खंड मे हमारी परंपरा में निम्नलिखित प्रत्येक शिक्षकों(आचार्य) का  एक संक्षिप्त इतिहास और जीवनी दी गई है:

 

 

सयाजी ऊ बा खिन

साया थेट

लेडी सयाडॉ